Friday, December 5, 2025


चलें दो कदम,

चलें निरन्तर,

मंजिल की ओर।

पा लेंगे हम, 

मंजिल एक दिन।


                     डॉ. मंंजूश्री गर्ग 

Thursday, December 4, 2025


'ओस' की बूँद

'मोती' का सा आभास

पल भर को।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, December 3, 2025


हर बार मिलन अधूरा ही रहा।

चाह कर भी चाह कह नहीं पाये।।

                    डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, December 2, 2025

 

कोविदार वृक्ष/कचनार

 

डॉ. मंजूश्री गर्ग

अयोध्या में राम मंदिर के ध्वज में तीन प्रतीक चिह्न हैं-चमकता हुआ सूर्य, ओम् और कोविदार वृक्ष। कोविदार वृक्ष देव वृक्ष है जिसे ऋषि कश्यप ने मंदार और पारिजात के वृक्षों से बनाया था। यह रामचन्द्रजी के समय भी अयोध्या के राजध्वज में अंकित था। इसे कचनार के नाम से भी जाना जाता है। अयोध्या के राम मंदिर परिसर में भी यह वृक्ष लगाया गया है। श्रीकृष्ण को भी कचनार का वृक्ष बहुत प्रिय था, वृंदावन में बहुतायत से ये वृक्ष पाये जाते हैं।

 

कचनार का वृक्ष सड़क किनारे या उपवनों में अधिकांशतः पाया जाता है। नवंबर से मार्च तक के महीनों में अपने गुलाबी व जामुनी रंगों के फूलों से लदा ये वृक्ष अपनी सुंदरता से सहज ही सबका मन मोह लेता है।

 

सन् 1880 ई. में हांगकांग के ब्रिटिश गवर्नर सर् हेनरी ब्लेक(वनस्पतिशास्त्री) ने अपने घर के पास समुद्र किनारे कचनार का वृक्ष पाया था। उन्हीं के सुझाये हुये नाम पर कचनार का वानस्पतिक नाम बहुनिया ब्लैकियाना पड़ गया। कचनार हांगकांग का राष्ट्रीय फूल है और इसे आर्किड ट्री के नाम से भी जाना जाता है। भारत में मुख्यतः कचनार के नाम से ही जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कन्दला या कश्चनार कहते हैं। भारत में यह उत्तर से दक्षिण तक सभी जगह पाया जाता है।

 

कचनार के पेड़ की लंबाई 20 फीट से 40 फीट तक होती है। कचनार अपनी पत्तियों के आकार के कारण सहज ही पहचान में आ जाता है। पत्तियाँ गोलाकार होती हैं और अग्रभाग से दो भागों में बँटी होती हैं। मध्य रेखा से आपस में जुड़ी होती हैं। इसकी पत्तियों की तुलना ऊँट के खुर से भी की जाती है। कचनार के गुलाबी रंग के फूल के पेड़ों में जब फूल आने शुरू होते हैं तो अधिकांशतः पत्तियाँ झड़ जाती हैं। जामुनी रंग के कचनार के पेड़ों में प्रायः फूलों के साथ पत्तियाँ भी रहती हैं। कचनार के फूलों में पाँच पँखुरियां होती हैं और फूलों से भीनी सुगंध आती है।

 

कचनार के पेड़ भूस्खलन को भी रोकते हैं। कचनार के फूल की कली देखने में भी सुंदर होती है और खाने में स्वादिष्ट भी। कचनार के वृक्ष अनेक औषधि के काम आते हैं व इससे गोंद भी निकलता है। कचनार की पत्तियाँ दुधारू पशुओं के लिये अच्छा आहार होती हैं।

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Monday, December 1, 2025


बरस रही है चाँदनी,

चमक रहे हैं रेतीले तट।

नदी और  सागर हों,

चाहें कितनी दूरी पे,

एक गगन की छाया में

धड़कने हैं एक दोनों की।

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, November 28, 2025


वो निगाहों में ही इकरार किया, करते रहे,

उस निगाहे यार को ही पहचान नहीं पाया मैं।

                    संजीव कुमार सुधांशु 

Thursday, November 27, 2025


तुमसे  बँधी प्रीत, अनगिन रिश्ते बन गये।

किसी की मामी, किसी की चाची, किसी की भाभी बन गये ।।

                        डॉ. मंजूश्री गर्ग