Saturday, December 20, 2025


सूरज नहीं

देखो उजाले लिये

आये हैं हम।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, December 19, 2025


तेरी मुस्कान

कड़कती सर्दी में

धूप सरीखी।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, December 18, 2025


हकीकत में उन्हें पहचान अवसर की नहीं कुछ भी,

जिन्होंने ये कहा अक्सर, हमें अवसर नहीं मिलते।

                नित्यानंद तुषार 

Wednesday, December 17, 2025


छोड़ दो तुम हाथ,

चलने दो, दो कदम,

डगमगाते ही सही।

दृढ़ता वही देंगे,

मीलों के सफर की।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

Tuesday, December 16, 2025


चाहतें हों खूबसूरत

अधूरी भी अच्छी।

रोज रंगीन सपने

सजाती जीवन में।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, December 15, 2025


हकीकत में ना सही,

ख्वाबों में ही सही।

पल भर जी लेते हैं, 

मुस्कुरा लेते हैं पल भर।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, December 14, 2025


ताँबा बिना ना सोना गढ़ता।

फिर भी ताँबा ताँबा ही रहता।।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग