हिन्दी साहित्य
Thursday, August 6, 2015
गरल पी कर जो मुस्काये,
वही तो शिव कहलाये.
-डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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'कौर' भी स्वर्ण!
अभिशाप बना है
वरदान पा.
-डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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