हिन्दी साहित्य
Saturday, November 7, 2015
दीये झिलमिलाये दीवाली की रात
मानों धरा पे आये गगन से तारे।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
श्रम से भरें
जीवन सरोवर
खिलें कमल।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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