हिन्दी साहित्य
Monday, May 16, 2016
होने को निबद्ध सागर की बाहों में,
हैं आकुल सरिता की लघु लहरें।
प्रगाढ़ आलिंगन सागर की बाँहों का
करता है शांत सरिता की उन्मत्तता।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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