हिन्दी साहित्य
Monday, February 20, 2017
जल जैसा सरल जीवन............
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
जल जैसा सरल जीवन
प्यार से रखोगे
तुम्हारे ही साँचें में
ढ़ल जायेगा।
तपाओगे
भाप बन के
उड़ जायेगा।
जमाओगे
बर्फ बन के
पिघल जायेगा।
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