हिन्दी साहित्य
Saturday, April 1, 2017
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
झुक झुका के
तराजू की तरह
साधा जीवन।
'जॉकरी' सही
पल भर को सही
हँसी तो आई।
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