हिन्दी साहित्य
Friday, April 14, 2017
गीत
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
बाहों में आओ तो सही
जी भर प्यार लुटायेंगे।
केशों की घनी छाया में
तुम्हें सुलायेंगे।
अधरों से मधुरस का
पान करायेंगे।
छलकते मधुकलशों से
स्नान करायेंगे।
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment