हिन्दी साहित्य
Tuesday, July 11, 2017
जरा तो मुस्कुरा के चल,
कि चाँदनी बिखरा के चल।
बहुत अँधेरा है दिल में,
जरा उजाला कर के चल।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment