हिन्दी साहित्य
Thursday, November 30, 2017
पतंग
धरती से उड़ चली पतंग
आकाश को छूने चली पतंग.
इतराई, मंडराई, भूली
धरती से है गहरा नाता.
डोर कटी तो पट से
धरती पर आन गिरी।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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