हिन्दी साहित्य
Monday, March 19, 2018
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
चलता सदा
दशरथ का रथ
दसों दिशायें।
जिंदगी कभी
ठुमकती औ
’
कभी
है ठुनकती।
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