हिन्दी साहित्य
Monday, March 26, 2018
अनमोल रत्न हैं ये
यूँ ही ना लुटा देना।
कुछ फूल हैं जो झरे,
खुशी के पलों में।
कुछ आँसू हैं जो बहे,
गमों के पलों में।
रखना सँभाल के,
दिल की किताब में।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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