हिन्दी साहित्य
Friday, April 27, 2018
ये दर्द,
ये चुभन,
ये बेचैनी।
सब दोस्त
हैं अपने।
भूलकर भी,
भूलना चाहें
तुम्हें तो
;
भूल नहीं
पायेंगे हम।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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