हिन्दी साहित्य
Thursday, May 24, 2018
नजरें मिला के नजरें चुराना
बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाना।
अनोखी है अदा तुम्हारी प्रिये
!
कहो कहाँ सीखीं ये अदायें।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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