हिन्दी साहित्य
Sunday, June 17, 2018
जब-जब तेरी आँखों में
देखा, सँवर गये हम।
तेरी बाँहों के घेरे में,
पिघलते रहे हम, नये
साँचें में ढ़लते रहे हम।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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