हिन्दी साहित्य
Thursday, June 21, 2018
तुम दिखते कहीं नहीं, पर शामिल हो जिंदगी में।
जैसे
हवाओं
में
हो
शामिल
खुशबुयें।।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
1 comment:
krishnasgrace
June 21, 2018 at 4:39 PM
बहुत सुन्दर
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बहुत सुन्दर
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