हिन्दी साहित्य
Sunday, June 24, 2018
रिमझिम-रिमझिम सावन जैसा,
पल-पल बरसता प्यार तुम्हारा।
अन्तरतम तक जो भिगो दे,
ऐसा मधुरिम प्यार तुम्हारा।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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