हिन्दी साहित्य
Friday, June 29, 2018
बादल मनाने को
कोई नहीं गाता
अब बादल राग।
आवारा हुए बादल
जहाँ मर्जी वहाँ
बरसते हैं बादल।
भिगो दें सारी
धरा का आँचल
ऐसा अनुशासन
अब बादलों में नहीं।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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