हिन्दी साहित्य
Tuesday, July 17, 2018
बादलों से झाँक रहा चाँद
धीरे-धीरे नदी के जल में
उतर
रहा
चाँद।
कर रहा अठखेलियाँ
बिखरा रहा चाँदनी।
नदी के सौंदर्य में
लगा रहा चार चाँद।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment