हिन्दी साहित्य
Saturday, July 28, 2018
तुम निहारो गुलाब,
मैं निहारूँ तुमको।
निहार-निहार में,
निखार आ जायेगा।
नजरों से मिलेंगी नजरें
और प्यार हो जायेगा।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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