हिन्दी साहित्य
Thursday, November 8, 2018
मुरझाने से पहले,
मुझे तोड़ लेना माली।
जिस उपवन की शोभा बढ़ायी,
उसको ना मैं श्रीहीन करूँ।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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