हिन्दी साहित्य
Saturday, January 12, 2019
देवदास नहीं मैं, कि पारो की याद में पीना शुरू कर दूँ।
मैंने तो पी है अपनी पारो की आँखों से, ता-उम्र होश ना आयेगा।।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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