हिन्दी साहित्य
Friday, January 25, 2019
रूके नहीं, झुके नहीं,
बढ़े चलें, बढ़े चलें।
प्रगति पथ पे,
निरन्तर चलें।
देश का हो नाम जग में,
काम ऐसा कर चलें।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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