हिन्दी साहित्य
Monday, February 11, 2019
हिम श्रेणी अंगूर लती सी
फैली, हिम जल है हाला।
चंचल नदियाँ साकी बनकर
भरकर लहरों का प्याला।
कोमल कूल करों में अपने
छलकाती निशिदिन चलती।
पीकर खेत खड़े लहराते
भारत पावन मधुशाला।
डॉ0 हरिवंशराय बच्चन
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment