हिन्दी साहित्य
Sunday, February 17, 2019
विश्वासों की चिड़िया डरती
घुट-घुट हर पल आहें भरती
कोई है ना सुनने वाला
एक अकेली जीती मरती
अपनेपन को-
लग गया
आज किसी का शाप
श्याम अंकुर
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