हिन्दी साहित्य
Sunday, April 14, 2019
बीज-बीज वटवृक्ष है, बूँद-बूँद में सिंधु।
सीप-सीप के ह्रदय में, मोती के अनुबंध।।
यतीन्द्र राही
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment