हिन्दी साहित्य
Saturday, August 3, 2019
जल भरे झूमैं मानौ भूमै परसत आय,
दसहु दिसान घूमै दामिनि लए लए।
धूरिदार धूसरे से, धूम से धुंआरे कारे,
धुरवान धारे धावैं छवि सों छए छए।
श्रीपति
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment