हिन्दी साहित्य
Tuesday, December 31, 2019
नववर्ष 2020 पर हार्दिक शुभकामनायें
आओ करें स्वागत नये साल का
लिखें कोरे पटल पर नयी कहानी।
नव उमंग, नव जोश ले बढ़े मंजिल की ओर
उपलब्धियों के बनायें नये कीर्तिमान।।
डॉ, मंजूश्री गर्ग
Monday, December 30, 2019
उमंग भरी
एक बूँद आशा की
खिलने लगी।
डॉ, मंजूश्री गर्ग
Sunday, December 29, 2019
बर्फीले दिन
बर्फ की सतह पे
बर्फ के खेल।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Saturday, December 28, 2019
अंक एक है।
शून्य जितने मिलें
बढ़ता मान।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Friday, December 27, 2019
आँधियों में उजड़े चमन, बसाती प्यार की बयारें।
आँधियाँ हों नफरत की, तो बसायेगा फिर कौन
?
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Thursday, December 26, 2019
झूठ बोल के
नजर कैसे मिले
सच के आगे।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Tuesday, December 24, 2019
‘
क्रिसमस ट्री
’
उपहारों से सजा
मन लुभाये।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Monday, December 23, 2019
'अक्षर' है वो
जो क्षर नहीं होता
ब्रह्म स्वरूप।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Sunday, December 22, 2019
हर गोल चीज चाँद नहीं होती।
हर पीली चीज सोना नहीं होती।
हर पत्थर नगीना नहीं होता।
परख ही लेती पारखी नजरें,
जिसको जिसकी चाहत होती है।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Saturday, December 21, 2019
कोशिश कर
खुद को ऊँचा उठा।
ना नीचे गिरा।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Thursday, December 19, 2019
जिंदगी बनी
दर्द सहते-सहते
पिन-कुशन।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Wednesday, December 18, 2019
शहर बने
कंक्रीट के जंगल
डरे हैं सब।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Tuesday, December 17, 2019
उसे रूखसत तो किया था मुझे मालूम न था,
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला।
निदा फाजली
Monday, December 16, 2019
माँझी वही जो
प्रतिकूल हवा में
पार लगा दे।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Saturday, December 14, 2019
खुद भी देखो,
दिखाने से है अच्छा,
आईना तुम।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Friday, December 13, 2019
खुशी के पल
तरंगें उठती मन
जल समान।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Thursday, December 12, 2019
फूल से फूल मिलें,
फूल-मालायें बनें।
दीप से दीप मिलें,
दीप-मालायें सजें।
मन से मन मिलें,
मानवता फूले फले।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
Wednesday, December 11, 2019
हमें जब आपकी आँखों ने सब पैगाम दे डाले
भला खामोश क्यों बैठे हैं कुछ तो बात करियेगा।
डॉ0 कुँअर बेचैन
Tuesday, December 10, 2019
जाने किसकी साजिश थी ये
मुझको मुझसे ही न मिलाया।
इक दिन मेरी खामोशी ने
मेरे भीतर शोर मचाया।
विज्ञान व्रत
Monday, December 9, 2019
जिसे है चाह मंजिल तक पहुँचने की कुँअर वो ही
सदा बढ़ता रहा, खाकर भी वो ठोकर नहीं लौटा।
डॉ0 कुँअर बेचैन
Sunday, December 8, 2019
सुबह हुई तो,
रात के
मधुर सपने
चुरा ले गयी।
कुछ लालिमा
आकाश तले,
कुछ मधुरता
फूलों पे
बिखरा गयी।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Saturday, December 7, 2019
मान दिया, सम्मान दिया,
सर आँखों पे बैठाया तुम्हें।
मेहमान बन के आये थे,
ठग कर चले गये हमें।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Thursday, December 5, 2019
यादों की पुरवाई चली,
नयनों की गगरी छलक गयी।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Wednesday, December 4, 2019
दिखे ना रोज
दो रोज की चाँदनी
नखरे यूँ ही।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Tuesday, December 3, 2019
नहीं पहचानने का ये सबब है
तिरी आँखों से खुद को देखता हूँ।
शीन. काफ. ऩिजाम
(असली नाम- शिव कृष्ण बिस्सा)
Monday, December 2, 2019
‘
ना
’
के डर से ना कहने से
अच्छा है कह दें दिल की बात।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
Sunday, December 1, 2019
बच्चे आँगन
फुलवारी है खिली
महके मन।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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