हिन्दी साहित्य
Friday, January 3, 2020
सुनहरी यादें बीते कल की
सुनहले सपने फिर कल के।
तैरते आँखों में पल-प्रतिपल।
मानों सुबह-शाम के बीच
बैठें हों
हम भरी धूप में।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment