हिन्दी साहित्य
Wednesday, June 29, 2022
मत अधीर हो धरा, आ पहुँचे पाहुने बादल।
रससिक्त तुम्हें कर, पहनायेंगे चूनर धानी।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment