हिन्दी साहित्य
Wednesday, July 20, 2022
मंजिल
‘
गर पा ली है,
रूके ना बढ़ते कदम।
मंजिलों से आगे हैं,
मंजिलें और भी।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment