हिन्दी साहित्य
Friday, November 17, 2023
नजरों को दो सजा,
ना देखो इधर तुम।
क्या खता है इन कँवलों की
आ के चूम लो इन्हें तुम।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment