Monday, December 1, 2025


बरस रही है चाँदनी,

चमक रहे हैं रेतीले तट।

नदी और  सागर हों,

चाहें कितनी दूरी पे,

एक गगन की छाया में

धड़कने हैं एक दोनों की।

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

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