हिन्दी साहित्य
Friday, January 8, 2016
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
नया सबेरा
रोशन होंगी राहें
चहके मन।
ऋतुयें वही
मिज़ाज बदलता
जैसा हो मन।
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