हिन्दी साहित्य
Wednesday, March 15, 2017
दो दिल, मानों
गंगा के
दो किनारों पे
जलते
दो दिये।
एक प्रवाह
एक गति
एक आभा
एक मिलन आस
मन में लिये।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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