हिन्दी साहित्य
Monday, January 29, 2018
मिट्टी एक..........
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
मिट्टी एक, रूप अनेक
कभी बन घट, बुझाती प्यास
और कभी मानव बन
स्वयं बनती प्यास।
कभी बन मूर्ति देती वर
और कभी मानव बन
स्वयं बनती याचक।
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