हिन्दी साहित्य
Tuesday, January 1, 2019
बरस रही है चाँदनी
चमक रहे रेतीले तट।
नदी और सागर हों
चाहें कितनी दूरी पे
एक गगन की छाया में
धड़कनें एक हैं दोनों की।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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