अधूरा प्यार भी कम खूबसूरत नहीं होता जनाब!
कभी जनाब! बाहर आ के अष्टमी के चाँद को तो देखो।
कितनी आशायें, अपेक्षायें समेटे है अपने आँचल में।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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