Saturday, November 9, 2024


अधूरा प्यार भी कम खूबसूरत नहीं होता जनाब!

कभी जनाब! बाहर आ के अष्टमी के चाँद को तो देखो।

कितनी आशायें, अपेक्षायें समेटे है अपने आँचल में।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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