Monday, June 9, 2025


बूँद मैं, समुद्र तुम।

कण मैं, पर्वत तुम।

पाँखुरी मैं, फूल तुम।

अंश हूँ, तुम्हारा ही प्रभु मैं।।

                    डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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