हिन्दी साहित्य
Wednesday, October 7, 2015
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
दीनता छाये
लेने बढ़े जो हाथ
मुख मंडल।
प्रभुता छाये
देने बढ़े जो हाथ
मुख मंडल।
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