पास बैठे रहो, चाहे रूठे ही रहो।
मुस्का के मना लेंगे तुम्हें।
प्यार से, मनुहार से मना लेंगे तुम्हें।
फिर भी अगर ना माने तो
खुद रूठ कर मना लेंगे तुम्हें।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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