प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने गंगा जी के अवतरण की संक्षिप्त कथा का वर्णन
किया है- अंशुमान और दिलीप के तप करने पर भी गंगा जी धरती पर नहीं आई. जब भगीरथ ने
तप किया तब गंगा जी ने दर्शन दिये-
अंशुमान सुनि राज बिहाइ।
गंगा हेतु कियो तप जाइ।
यही विधि दिलीप तप कीन्हो।
पै गंगा जू बरनहिं दीन्हों।
बहुरि भगीरथ तप बहु कियौ।
तब गंगा जू दरसन दियौ।
सूरदास
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