Monday, October 13, 2025

 

अलौकिक प्रेम......

सिय-राम का प्रेम अलौकिक

धनुष-यज्ञ शाला में देख अधीर सिय को

नयनों से ही करते हैं आश्वस्त श्री राम।

क्षण भर में कर धनुष भंग, जानकी की ही नहीं,

हरते हैं पीड़ा जनक परिवार की श्री राम।

पर राम!

राम! सच-सच बतलाना

यदि तुमसे पहले कोई और

राजकुमार धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा लेता।

तो तुम क्या करते?

तुम तो पुष्प-वाटिका में धनुष-यज्ञ से पहले ही

सीता को ह्रदय समर्पित कर चुके थे।

सीता तो राजा जनक के प्रण से बँधी थीं;

विवाह उसी से होना था जो यज्ञशाला में रखे

प्राचीन शिवधनुष पर प्रत्यंचा चढ़ायेगा।

राम सच-सच बतलाना

तो तुम क्या करते?

तुम कैसे सीता के प्रति अपना एकनिष्ठ प्रेम

निभाते!

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

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