Thursday, June 19, 2025

 

सुबह हो चाहे जितनी सबेरे

शाम से पहले शाम न हो

रात से पहले रात।

बसंत चाहे खिले शिशिर में

पतझड़ से पहले पतझार न हो।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, June 18, 2025


धूमिल न होने दें सुनहरे पलों की यादें।

यादों के चिरागों से ही रोशन है जिंदगी।।

        डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

  

Tuesday, June 17, 2025

 

पद्मभूषण से सम्मानित हिन्दी साहित्यकार

डॉ. मंजूश्री गर्ग

पद्मभूषण सामान्यतः भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि- कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिये दिया जाता है. यह पुरस्कार सन् 1954 ई. से देना प्रारम्भ हुआ था.

पद्मभूषण भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च सम्मान है. पद्मभूषण सम्मान काँसे का बना होता है बीच में कमल का फूल होता है. ऊपर पद्म और नीचे भूषण देवनागरी लिपि में लिखा होता है.

सन् 1954 ई. से सन् 2021 ई. तक पद्मभूषण से सम्मानित हिन्दी साहित्यकार हैं-

1.     श्री मैथिलीशरण गुप्त        सन् 1954 ई.

2.     श्रीमती महादेवी वर्मा         सन् 1956 ई.

3.     श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी      सन् 1957 ई.

4.     श्री रामधारी सिंह दिनकर     सन् 1959 ई.

5.     श्री बाल कृष्ण नवीन        सन् 1960 ई.

6.     श्री शिवपूजन सहाय         सन् 1960 ई.

7.     श्री राधिका रमण सिंह        सन् 1962 ई.

8.     श्री रामकुमार वर्मा          सन् 1963 ई.

9.     श्री माखन लाल चतुर्वेदी      सन् 1963 ई.

10. श्री राहुल सांस्कृत्यायन      सन् 1963 ई.

11. श्री वृन्दावन लाल वर्मा      सन् 1965 ई.

12. श्री हरिभाऊ उपाध्याय       सन् 1966 ई.

13. श्री रघुपति सहाय(फिराक गोरखपुरी) सन् 1968 ई.

14. श्री भगवती चरण वर्मा      सन् 1971 ई.

15. श्री जैनेंद्र कुमार           सन् 1971 ई.

16. श्री बनारसी दास चतुर्वेदी     सन् 1973 ई.

17. डॉ. फादर कामिल बुल्के     सन् 1974 ई.

18. डॉ. हरिवंशराय बच्चन       सन् 1976 ई.

19. श्री अमृतलाल नागर        सन् 1981 ई.

20. श्री नारायण चतुर्वेदी        सन् 1984 ई.

21. श्री भीष्म साहनी           सन् 1998 ई.

22. श्री शिवमंगल सिंह सुमन    सन् 1999 ई.

23. श्री विद्या निवास मिश्र      सन् 1999 ई.

24. श्री निर्मल वर्मा            सन् 2002 ई.

25. श्री गुलजार               सन् 2004 ई.

26. श्री विष्णु प्रभाकर          सन् 2004 ई.

27. श्रीमती दिनेश नंदिनी डालमिया     सन् 2006 ई.

28. श्री गोपालदास नीरज        सन् 2007 ई.

29. श्री लाल शुक्ल            सन् 2008 ई.

30. श्री कुँवर नारायण          सन् 2009 ई.

 

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Monday, June 16, 2025


रात भर जलता रहा, लड़ता रहा अँधेरों से।

सौंप कर हमें उजालों के हाथ, बढ़ गया दिया।।

                              डॉ. मंजूश्री गर्ग  

Sunday, June 15, 2025


 

ख्बाबों में गुम थे कि सहसा तुम आ गये।

खड़े सोचते रहे कि ख्बाब है या हकीकत।

 

                      डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

Saturday, June 14, 2025


एक तुम्हारे आ जाने से

कितने मौसम बदल गये।

आँखों की बरसात थम गयी

अधरों पे धूप खिल गयी।

प्यार की बयार क्या बही

आँगन खुशबू बिखर गयी।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

  

Friday, June 13, 2025

 

चिलगोजा

डॉ. मंजूश्री गर्ग 

चिलगोजा चीड़ या सनोबर जाति के पेड़ों का छोटा, लंबोतरा फल है. चिलगोजे के पेड़ समुद्र से 2000 फुट की ऊँचाई वाले पहाड़ी इलाकों में होते हैं. इसमें चीड़ की तरह लक्कड़नुमा फल लगते हैं. यह बहुत कड़ा होता है. मार्च, अप्रैल में आकार लेकर सितम्बर, अक्टूबर तक पक जाता है. यह बेहद कड़ा होता है. इसे तोड़कर गिरियाँ बाहर निकाली जाती हैं. ये गिरियाँ भी मजबूत भूरे आवरण से ढ़की होती हैं. जिसे दाँत से काटकर हटाया जाता है. अंदर मुलायम नरम तेलयुक्त सफेद गिरी होती है. यह बहुत स्वादिष्ट होती है और मेवों में गिनी जाती है.