वेदमाता गायत्री का जन्म
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
एक बार ब्रह्मा जी पुष्कर तीर्थ में यज्ञ करने के लिये सरस्वती जी( ब्रह्मा जी की पत्नी ) की प्रतीक्षा कर रहे थे। यज्ञ का समय निकला जा रहा था और सरस्वती जी को आने में देर हो गयी। अतः ब्रह्मा जी ने गायत्री जी के साथ यज्ञ प्रारम्भ कर दिया। सरस्वती जी ने जब ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में गायत्री जी को देखा तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि संसार के मनुष्य तुम्हारी पूजा करना भूल जायेंगे। आज भी केवल पुष्कर तीर्थ में ही ब्रह्मा जी का मंदिर है। यज्ञ सम्पूर्ण करने के लिये उत्पन्न हुई गायत्री माँ को यज्ञ की देवी व वेदमाता के रूप में जाना जाता है। बिना गायत्री मंत्र( ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितु वरर्णेयं भर्गो देवस्य धीमहिः धियो योः नः प्रचोदयात्) के कोई भी यज्ञ सम्पन्न नहीं होता है।
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