Thursday, December 17, 2015

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

बीज रूप में
संचित संस्कृति
हम सब में।

ईर्ष्या नहीं
प्रतिस्पर्धा करो
जीतोगे तुम।

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