विश्वनाथ मंदिर और
ज्ञानवापी मस्जिद
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
भारत में शिवजी भगवान के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं, जहाँ साक्षात् शिवजी
भगवान ज्योतिर्लिंग रूप में अवतरित हुये हैं, इनमें से वाराणसी के ज्ञानवापी नगर
में प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर सबसे प्राचीन है, जहाँ शिवजी भगवान सर्वप्रथम
ज्योतिर्लिंग रूप में अवतरित हुये. ज्ञानवापी नगर में एक प्रसिद्ध कुआँ
भी है. कहा जाता है कि विश्वनाथ के लिंग को शीतल करने के लिये स्वयं भगवान शिव ने
अपने त्रिशूल से इस कुँए को खोदा था. यह पृथ्वी का प्रथम जलस्रोत माना जाता है.
वाराणसी के विख्यात विश्वनाथ मंदिर का निर्माण समय-समय पर अनेकों राजाओं ने
करवाया और समय-समय पर अनेकों विदेशी आक्रमणक्रियों द्वारा मंदिर को खंडित भी किया गया.
अकबर ने भी सन् 1585 ई0 में विश्वनाथ
मंदिर का निर्माण कराया, किंतु सन् 1669 ई0 में औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का
निर्माण कराया, जो ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से आज भी मौजूद है. मस्जिद के
बीचों बीच मन्दिर की अलंकृत दीवार भारत की पुरानी निर्माण शैली का एक सुन्दर और
अद्भुत नमूना है.
वर्तमान विश्वनाथ मंदिर(विश्वेश्वर मंदिर) का निर्माण सन् 1777 ई0 में महारानी
अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. इसकी वास्तुकला में हिन्दू व इस्लामी शैलियों का
सुन्दर समन्वय है. मंदिर में मुख्य शिवलिंग के अतिरिक्त अन्य मूर्तियाँ और
समाधियाँ भी हैं.
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