हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
कार्तिक मास
सजी दीपमालायें
मावस-रात।
तोरण द्वार
रंगोली आँगन में
सजी दीवाली।
द्वार-द्वार पे
सजी दीपमालायें
दीवाली रात।
उत्सव-पल
खुशी नहीं समाती
मन-आँगन।
दीवाली-रात
धरती से गगन
सजी रोशनी।
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