हिन्दी साहित्य
Saturday, October 8, 2016
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
बाँटो जितना,
विद्या धन उत्तम,
बढ़े उतना ।
गन्ने समान
रिश्ते, गाँठ जहाँ,
वहाँ न रस ।
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