भाषा परिवर्तनशील और स्थिर है-
भाषा का निरन्तर विकास होता रहता है. समय-समय पर कुछ शब्दों के रूप परिवर्तित
हो जाते हैं, कुछ अन्य भाषाओं के शब्द सम्मिलित हो जाते हैं, कुछ नये प्रयोग होते
हैं. हिन्दी भाषा का
विकास संस्कृत भाषा से हुआ है, काफी कुछ शब्द हिन्दी भाषा में ऐसे ही ले लिये गये,
तो कुछ शब्दों का रूप परिवर्तित हो गया. जैसे- संस्कृत का पत्र शब्द
हिन्दी में पत्ता बन गया और कुम्भकार कुम्हार. कुछ
नये प्रयोग भी किये गये हैं. जैसे आजकल वर्णमाला के अनुनासिक वर्ण के लिये न
को ही मान्यता मिल गयी है और इसकी मात्रा के रूप में बिन्दु को ही. विराम
चिह्न भी अब बिन्दु (.) रूप में प्रयोग में लाया जाता है. फिर भाषा का एक
निश्चित मानक रूप व व्याकरण होने के कारण भाषा स्थिर रह पाती है. इस तरह हम कह
सकते हैं कि भाषा परिवर्तनशील भी है और स्थिर भी.
ड़ॉ0 मंजूश्री गर्ग
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