Wednesday, June 25, 2025



छोड़ दो तुम हाथ,

चलने दो, दो कदम,

डगमगाते ही सही।

दृढ़ता वही देंगे,

मीलों के सफर की।

 

                   डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

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